अपूर्णता
पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम की माँ ने एक दिन जली रोटी अपने पति को दे दी।
उन्होंने शांति से खा ली।
कलाम के पूछने पर बताया – संसार में कोई भी पूर्ण नहीं होता, अपूर्णता को स्वीकारने में ही शांति/समझदारी है।
जीवन छोटा है, इसे दूसरों की ग़लतियाँ बताने, बाद में पछताने में व्यर्थ मत करो।
(डॉ.पी.एन.जैन)
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि संसार में पूर्णता नहीं होती है, लेकिन अपूर्णता को स्वीकारने में ही शान्ति एवं समझदारी है। अतः उक्त कथन भी सत्य है कि जीवन छोटा है, इसमें दूसरों की गल्तियां बताने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए, क्योंकि बाद में पछताना पड़ता है। अतः जीवन में जो कुछ मिला है, उसे स्वीकार करना ही परम आवश्यक है ताकि जीवन में शांति एवं प़सन्नता हमेशा रहेगा/ जीवन का कल्याण हो सकता है।