असाता आस्रव के कारण (दुःख, शोक, ताप, आक्रंदन, परिवेदन) “स्व” तथा “पर” के विषय में।
जैसे बेटे की बीमारी में दुःखादि,
लेकिन यह करुणा में नहीं आयेगा क्योंकि करुणा तो सब/ अन्य जीवों के लिये भी हो तब होगी, यह तो मोह में आयेगा।
श्री विनोद शास्त्री जी ने असाता आश्रव का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में असाता आश्रव से बचकर रहना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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श्री विनोद शास्त्री जी ने असाता आश्रव का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में असाता आश्रव से बचकर रहना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
‘परिवेदन’ ka kya meaning hai, please ?
इतना तीव्र आक्रंदन कि अन्य शोकादि करने लगें।
Okay.