चलते हाथी के ऊपर मक्खी बैठी थी। थोड़ी देर बाद मक्खी ने हाथी से कहा, “यदि मेरे बैठने से चलने में वज़न ज़्यादा लग रहा हो, तो मैं उड़ कर बाकी यात्रा पूरी कर सकती हूँ।”
हर जीव अपने अस्तित्त्व को स्वीकार करवाना चाहता है। इसी कारण हम अच्छे कपड़े, ज़ेवर, आदि का प्रयोग करते हैं।
(ब्र.रेखा दीदी)
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अस्तित्व प़त्येक द़व्य की अनादि अनन्त सत्ता ही उसका गुण है,यह द़व्य का सामन्य गुण है।
अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। द़व्य को यदि अपनी सत्ता यानी आत्मा का पहिचान कर लेता है,तभी उसका कल्याण हो सकता है।
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अस्तित्व प़त्येक द़व्य की अनादि अनन्त सत्ता ही उसका गुण है,यह द़व्य का सामन्य गुण है।
अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। द़व्य को यदि अपनी सत्ता यानी आत्मा का पहिचान कर लेता है,तभी उसका कल्याण हो सकता है।