अपनों से/अपने बेटे से अपने अहित की अपेक्षा नहीं की जाती ।
तो अपने मन/इंद्रियों से अपना अहित कैसे कर रहे हो !!
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यह कथन सत्य है कि अपनों से/अपने बेटे एवं परिवार से अहित की अपेक्षा नहीं रखते हैं लेकिन आजकल अपने मन और इंन्दियो व्दारा अहित का ख्याल नहीं रखते हैं। जैन धर्म सिखाता है कि अपने मन और इंन्द़ियों पर नियंत्रण करने से अहित से बचा जा सकता है।
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यह कथन सत्य है कि अपनों से/अपने बेटे एवं परिवार से अहित की अपेक्षा नहीं रखते हैं लेकिन आजकल अपने मन और इंन्दियो व्दारा अहित का ख्याल नहीं रखते हैं। जैन धर्म सिखाता है कि अपने मन और इंन्द़ियों पर नियंत्रण करने से अहित से बचा जा सकता है।