आकस्मिक मरण में भी व्रती (देश/महाव्रती) का समाधि-मरण ही माना जायेगा क्योंकि उनके जीवन पर्यंत का संकल्प था।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मरण का मतलब प्राणों का वियोग होता है यह पांच प़कार के होते हैं। उपरोक्त कथन सत्य है कि आकस्मिक मरण भी वृत्ति महावृती का समाधिमरण माना जायेगा, क्योंकि उनका जीवन पर्यन्त का संकल्प होता है। अतः जीवन में कर्म सिद्धांत पर विश्वास करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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मरण का मतलब प्राणों का वियोग होता है यह पांच प़कार के होते हैं। उपरोक्त कथन सत्य है कि आकस्मिक मरण भी वृत्ति महावृती का समाधिमरण माना जायेगा, क्योंकि उनका जीवन पर्यन्त का संकल्प होता है। अतः जीवन में कर्म सिद्धांत पर विश्वास करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।