आकाश द्रव्य में अलग अलग अवगाहना वाले द्रव्य अलग अलग समय और स्थानों पर स्थान पाते हैं, उससे उत्पाद/व्यय समझना चाहिये ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
आकाश द़व्य, जो समस्त द़व्यो को अवकाश अर्थात स्थान देता है उसे कहते हैं।
उत्पाद—द़व्य का अपनी अवस्था को छोड़कर नवीन अवस्था को प़ाप्त करना कहलाता है।
व्यय—द़व्य की पूर्व पर्याय का विनाश होना कहलाता है।
आकाश द़व्य में अलग अलग अवगाहना वाले द़व्य अलग अलग समय स्थानो पर स्थान पाते हैं, उससे उत्पाद और व्यय समझना चाहिए।
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आकाश द़व्य, जो समस्त द़व्यो को अवकाश अर्थात स्थान देता है उसे कहते हैं।
उत्पाद—द़व्य का अपनी अवस्था को छोड़कर नवीन अवस्था को प़ाप्त करना कहलाता है।
व्यय—द़व्य की पूर्व पर्याय का विनाश होना कहलाता है।
आकाश द़व्य में अलग अलग अवगाहना वाले द़व्य अलग अलग समय स्थानो पर स्थान पाते हैं, उससे उत्पाद और व्यय समझना चाहिए।
Can it’s meaning be explained please?
पूना से मुम्बई जाती हो तब पूना और मुम्बई के आकाश में जो बदलाव होता है, वही आकाश का उत्पाद/व्यय है ।
Okay.