आकुल अच्छे कामों में व्यवधान से,
व्याकुल बुरे कामों में व्यवधान से।
मुनि श्री मंगल सागर जी
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2 Responses
मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने आकुल एवं व्याकुल की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए आकुल एवं व्याकुल दोनों से बचकर रहना परम आवश्यक है।
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मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने आकुल एवं व्याकुल की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए आकुल एवं व्याकुल दोनों से बचकर रहना परम आवश्यक है।
Beautiful explanation !