आत्मा

आचार्य श्री कुंदकुंद ने आत्मा को “राजा” कहा है भगवान नहीं, क्योंकि राजा कर्ता/भोग्ता होता है, भगवान नहीं ।
उनके एक हजार वर्षों बाद आचार्य अमृतचंद्र सूरी ने आत्मा को भगवान कहा ।

मुनि श्री सुधासागर जी

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