आत्मीयता

मैं आत्मा हूँ
औरों से आत्मीयता
मेरी श्वास है।
(जब तक संसार में हूँ)।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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4 Responses

  1. आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने आत्मीयता को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण लिए आत्मा को जानना आवशयक हो/ आत्मीयता रहना परम आवश्यक है।

    1. आत्मीयता ही जीवन है क्योंकि जब तक सांस है तब तक जीवन है।

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