आदिनाथ नाम तो प्रथम तीर्थंकर होने की अपेक्षा से पड़ा है ।
उनका असली नाम तो ऋषभनाथ/वृषभनाथ था ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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आदिनाथ- – युग के प्रारम्भ में हुए प़थम तीर्थंकर है। अयोध्या इनकी जन्म भूमि है और राजधानी है।कर्म भूमि के प्रारम्भ में प़जा को अहिंसा प़धान जीवन पद्धति सिखाने के अभिप्राय से इन्होंने असि, कृषि,विद्या, वाणिज्य और शिल्प इन षट्कर्मों का उपदेश दिया गया था।इनकी आयु चौरासी लाख वर्ष पूर्व थी।एक हजार वर्ष की कठिन तपस्या के उपरान्त केवलज्ञान प्राप्त हुआ था और सभी जीवों को कल्याण करने की दिव्य धुनी खिरने लगी थी।कैलाश पर्वत पर से मोक्ष प्राप्त हुआ था। अतः उक्त कथन सत्य है कि आदिनाथ नाम प़थम तीर्थंकर होने की अपेक्षा से पड़ा है लेकिन उनका असली नाम त्रृषमनाथ और वृषभनाथ था।
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आदिनाथ- – युग के प्रारम्भ में हुए प़थम तीर्थंकर है। अयोध्या इनकी जन्म भूमि है और राजधानी है।कर्म भूमि के प्रारम्भ में प़जा को अहिंसा प़धान जीवन पद्धति सिखाने के अभिप्राय से इन्होंने असि, कृषि,विद्या, वाणिज्य और शिल्प इन षट्कर्मों का उपदेश दिया गया था।इनकी आयु चौरासी लाख वर्ष पूर्व थी।एक हजार वर्ष की कठिन तपस्या के उपरान्त केवलज्ञान प्राप्त हुआ था और सभी जीवों को कल्याण करने की दिव्य धुनी खिरने लगी थी।कैलाश पर्वत पर से मोक्ष प्राप्त हुआ था। अतः उक्त कथन सत्य है कि आदिनाथ नाम प़थम तीर्थंकर होने की अपेक्षा से पड़ा है लेकिन उनका असली नाम त्रृषमनाथ और वृषभनाथ था।