आधार / आधेय
आधार – घड़ा/सृष्टि/चैत्यालय
आधेय – घी/ दृष्टि/ चैत्य
आधार से ज्यादा आधेय महत्त्वपूर्ण होता है, उसे सम्भालना/सुधारना ज्यादा ज़रूरी।
घर से एक साधु बना हो, तो वह घर सम्मानीय हो जाता है।
जिस मिट्टी पर भगवान के चरण पड़ जाते हैं, वह मिट्टी पूज्य हो जाती है जैसे तीर्थस्थल।
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
आधार का मतलब स्थापित होता है, जबकि आधेय का मतलब सहयोगी होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि आधार यानी घड़ा, सृष्टि एवं चैत्यालय।आधेय यानी घी,द्वष्टि एवं चैत्य। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि आधार से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है आधेय इसको सम्भालना और सुधारना ज्यादा जरूरी होता है। घर में एक साधु बना हो वह सम्मानीय हो जाता है।इसी प्रकार जब भगवान या साधुओं के चरण पड़ जाते हैं,वह पूज्य बन जाता है।