आध्यात्म ग्रंथ
द्रव्यानुयोग के 3 भाग –
1. न्याय
2. आध्यात्म
3. जीव के वर्णन वाले ग्रंथ
आध्यात्म, द्रव्यानुयोग में आयेगा; परन्तु सारे द्रव्यानुयोग के ग्रंथ आध्यात्म में नहीं आयेंगे ।
ऊपर 1 और 3 आत्मा को सापेक्ष बताते हैं, पर आध्यात्म निरपेक्ष ।
आत्मा सापेक्ष होते हुए भी निरपेक्ष है ।
आध्यात्म ग्रंथों का अध्ययन होना चाहिये, क्योंकि इसी से वस्तु के वास्तविक स्वरूप का ज्ञान होता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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द़व्यानुयोग का मतलब जिसमें मुख्य रुप जीव, अजीब तत्व का, पुण्य पाप और बंध मोक्ष का विवेचन किया जाता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि द़व्यानुयोग के तीन भाग होते हैं,न्याय, आध्यात्म और जीव के वर्णन वाले ग़ंथ। अतः आध्यात्म, द़व्यानुयोग में आयेगा, पर सारे द़व्यानुयोग के ग़ंथ आध्यात्म में नहीं आयेंगे। ऊपर 1और3 में आत्मा को साक्षेप बताते हैं पर आध्यात्म निरपेक्ष। आत्मा साक्षेप होते हुए भी निरपेक्ष है। अतः आध्यात्म ग़ंथो का अध्ययन होना चाहिए, क्योंकि इसी से वस्तु के वास्तविक स्वरुप का ज्ञान होता है।