आयु/गति बंध/कदलीघात
जिस समय आयु का बंध होता है, उस समय गति का बंध भी आयु के अनुसार ही होगा।
मिथ्यात्वी के चारों गतियों का बंध संभव है, जबकि सम्यग्दृष्टि मनुष्य और तिर्यंच के सिर्फ देव गति का ।
सम्यग्दृष्टि देव और नारकी के मनुष्य आयु बंध ही होता है ।
8 अपकर्ष काल में से आयु बंधने के बाद, अगले अपकर्ष कालों में आयु की स्थिति में वृद्धि, हानि या अवस्थिति होती है।
कर्मभूमिज में कदलीघात परिणामों या बाह्य निमित्त से होता है।
कर्मकांड़ गाथा 643