आश्रव-पुण्य और पाप रुप कर्मो के आगमन को कहते हैं।अतः अजीव का जीव में प़वेश हो सकता है।आत्मा में शुभ अशुभ कर्म चिपकते रहते हैं जिसके कारण अजीव जीव में अथवा जीव अजीव मेंं प़वेश होते रहते हैं। Reply
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आश्रव-पुण्य और पाप रुप कर्मो के आगमन को कहते हैं।अतः अजीव का जीव में प़वेश हो सकता है।आत्मा में शुभ अशुभ कर्म चिपकते रहते हैं जिसके कारण अजीव जीव में अथवा जीव अजीव मेंं प़वेश होते रहते हैं।
By “Ajeev”, we mean “Karm vargnaayein”, right?