असन* करना है तो आसन करो (शरीर को एक अवस्था में स्थिर रखना)।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
*धर्म साधना
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उक्त कथन सत्य है कि धर्म साधना में स्थिर रहने के लिए शरीर को एक अवस्था में स्थिर रखना आवश्यक है, उसके लिए योग और आसन बहुत महत्त्वपूर्ण है।
अतः सभी के लिए मुनि श्री प़माण सागर महाराज ने मंगल भावना एवं मुनि श्री प़णम सागर महाराज ने अहृमं योग बताया है।
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उक्त कथन सत्य है कि धर्म साधना में स्थिर रहने के लिए शरीर को एक अवस्था में स्थिर रखना आवश्यक है, उसके लिए योग और आसन बहुत महत्त्वपूर्ण है।
अतः सभी के लिए मुनि श्री प़माण सागर महाराज ने मंगल भावना एवं मुनि श्री प़णम सागर महाराज ने अहृमं योग बताया है।