संवेदनशीलता

आस्तिक्य भाव को जगाने वाले सफलतम साधु थे मुनि श्री क्षमासागर जी। जिन-जिन के अंदर उन्होंने ये भाव जाग्रत किया, वे आजतक सुसुप्त नहीं हुए हैं।
लोग कृतियों/ मंदिरों का निर्माण करते हैं, उन्होंने जीवों का निर्माण किया। ये भाव उनके अंदर उनकी असीम संवेदनशीलता से आया था।

मुनि श्री आदित्यसागर जी

Share this on...

4 Responses

  1. मुनि श्री आदिनाथ सागर महाराज जी ने संवेदनशीलता का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए संवेदनशील रहना परम आवश्यक है।

  2. 1) ‘आस्तिक्य भाव’ ka kya meaning hai, please ?
    2) ‘सुसुप्त’ ka meaning clarify karenge, please ?

    1. 1) भगवान की वाणी को as it is मानना।
      2) सुस्त पड़ जाना।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

June 21, 2024

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031