ईर्ष्या क्यों करूँ !
ईर्ष्या बड़े से होती,
छोटा क्यों बनूँ ?
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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2 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने ईर्षा को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कभी भी ईर्षा का भाव नहीं रखना चाहिए चाहें व छोटा हो या बढा हो।
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने ईर्षा को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कभी भी ईर्षा का भाव नहीं रखना चाहिए चाहें व छोटा हो या बढा हो।
Beautiful post ! Namostu gurudev.