आर्जव धर्म

  • आर्जव धर्म , मायाचारी का उल्टा यानि सरलता ।
  • मायाचारी व्यक्ति प्राय: साँप जैसा होता है, ऊपर से सुंदर और चिकना, पर अंदर से ज़हरीला और पकड़ में ना आने वाला ।
  • आज कपट जीवन के हर खेल में घुसपैठ कर चुका है, यहाँ तक कि धर्म में भी ।
  • कपट से हानि –
    1. अविश्वसनीयता।
    2. कभी ना कभी पकड़े जाते हैं और फिर ज़िंदगी नरक बन जाती है ।
    3. शास्त्रानुसार अगले जन्म में जानवर बनते हैं ।
  • जीवन से कपट कैसे दूर करें ?
    1.स्पष्टवादी बनें  ।
    मन में होय सो वचन उचरिये, वचन होय सो तन सो करिये ।
    2. जीवन में  सादगी लायें, अपनी आवश्यकतायें कम करें।
    3. आत्मचिंतन करें – आत्मा का रूप शुद्ध है ।
    4. अच्छे शास्त्रों का अध्ययन करने की आदत डालें ।
    5. अपनी संगति ऐसे लोगों से रखें जो भौतिकवाद की दौड़ में ना हों ।

पं. रतनलाल बैनाड़ा जी – पाठ्शाला (पारस चैनल)

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One Response

  1. आर्जव धर्म का तात्पर्य कुटिलता को छोड़कर सरल हृदय में आचरण करना होता है।मन वचन काय के द्वारा अर्थात सरलता होना ही धर्म है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि आर्जव धर्म, मायाचारी का उल्टा यानी सरलता, मायाचारी व्यक्ति सांप जैसा होता है, आजकल कपट हर क्षेत्र में घुसपैठ कर चुका है।कपट से हानि अविश्वसनीय,कभी कभी पकड़ जाते हैं, इससे ज़िन्दगी नरक बन जाती है।इसको दूर करने का उपाय स्पष्टवादी बनना चाहिए, जीवन में सादगी लायें एवं आवश्यकता कम करना चाहिए। आत्मचिंतन करें जिससे आत्मा का रुप शुद्ध हो, इसके अलावा शास्त्रों का अध्ययन की आदत डालना चाहिए। इसके अलावा संगति अच्छी होना चाहिए।

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