उत्तम आर्जव धर्म

आर्जव यानी सरलता। हालांकि सरल होना सरल है नहीं।
चुगली भी मायाचारी का एक रूप है।
कम से कम देव, शास्त्र, गुरुओं के साथ तो कपट न करें।
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आदमी बहुचित्त वाला होता है।
देखना होगा कि वे मुखौटे मजबूरी या ममता के कारण तो नहीं लगे हैं! पर हम सबको कपटी ही मानते हैं क्योंकि हम मायाचारी हैं। पुलिस भी कभी-कभी चारसौबीसी की वारदातों को सुलझाने में ठगों की मदद लेती है।
कपट शब्द कपाट से बना होगा, दोनों में छिपाना है।

मुनि श्री मंगलानंद सागर जी
ब्र.डॉ नीलेश भैया

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4 Responses

  1. मुनि श्री मंगलान्द जी ने आर्जव धर्म का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कपट, मायाचारी से बचना चाहिए बल्कि मन, वचन, काय काय में सरलता होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।

  2. Agar ‘मुखौटे’ मजबूरी या ममता के कारण लगे hain, to woh मायाचारी nahi hai ?

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