मुनियों का उपभोग – प्रवचन, आहार क्रिया, पर रागद्वेष रहित, इसलिए बंध नहीं।
श्रावकों का रागद्वेष सहित सो बंध का कारण।
श्रावक कम से कम सीमा तो बांध ले, तब थोड़े बंध के साथ-साथ निर्जरा भी होगी।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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4 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने उपभोग की तुलना की गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन का कल्याण करना हो तो श्रावकों को सीमा में बांधने का कार्य करना चाहिए।
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने उपभोग की तुलना की गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन का कल्याण करना हो तो श्रावकों को सीमा में बांधने का कार्य करना चाहिए।
1) ‘प्रवचन’ muniyon ka upabhog kaise hai ?
2) Shraawak ke upabhog ke kya examples hain ?
1) प्रवचन गुरु अपने लिए भी करते हैं। श्रावकों के जीवन बदलने पर उन्हें कितना सुकून/ आनंद आता है !
2) श्रवकों के द्वारा आभूषणादि उपभोग ही तो है।
Okay.