उपशमन दो प्रकार का →
1. प्रशस्त…. करण-परिणामों से पूरा दबा दिया जाय(पूरे समय यानि अंतर्मुहूर्त तक)।
2. अप्रशस्त… बिना करण-परिणाम के जैसे अनंतानुबंधी का उदय एक समय से 6 आवली पहले आने से दूसरा गुणस्थान होना।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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6 Responses
मुनि महाराज जी ने उपशमन दो प़कार का बताया गया है वह पूर्ण सत्य है!
उपशम में मिथ्यात्व व अनंतानुबंधी अंतर्मुहूर्त के लिए दबा दी जाती हैं।दोनों साथ साथ उदय आने पर पहला गुणस्थान।
अनंतानुबंधी के पहले उदय पर दूसरा गुणस्थान।
उपशम स.दर्शन में मिथ्यात्व व अनंतानुबंधी अंतर्मुहूर्त के लिए दबा दी जातीं हैं। अब यदि अनंतानुबंधी समय से पहले उदय में आ जाये पर मिथ्यात्व बाद में उदय में आये तो दूसरे गुणस्थान में ही जाना होगा न !
6 Responses
मुनि महाराज जी ने उपशमन दो प़कार का बताया गया है वह पूर्ण सत्य है!
‘अनंतानुबंधी का उदय एक समय से 6 आवली पहले आने से दूसरा गुणस्थान होना।’ Isko thoda aur clarify karenge, please ?
उपशम में मिथ्यात्व व अनंतानुबंधी अंतर्मुहूर्त के लिए दबा दी जाती हैं।दोनों साथ साथ उदय आने पर पहला गुणस्थान।
अनंतानुबंधी के पहले उदय पर दूसरा गुणस्थान।
‘अनंतानुबंधी के पहले उदय’ ka kya meaning hai,please ?
उपशम स.दर्शन में मिथ्यात्व व अनंतानुबंधी अंतर्मुहूर्त के लिए दबा दी जातीं हैं। अब यदि अनंतानुबंधी समय से पहले उदय में आ जाये पर मिथ्यात्व बाद में उदय में आये तो दूसरे गुणस्थान में ही जाना होगा न !
Okay.