जीव अकेला ही कर्म करता है और अकेला ही संसार में हिंडोले की तरह भ्रमण करता रहता है। अकेला ही पैदा होता है, अकेला ही मरता तथा कर्मों का फल भी अकेला ही भोगता है, दीर्घ संसार में।
श्री बारसाणुपेक्खा (आचार्य श्री कुन्दकुन्द)
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एकत्व को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए एकत्व में ही रहकर अपनी आत्मा का कल्याण करना परम आवश्यक है।
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एकत्व को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए एकत्व में ही रहकर अपनी आत्मा का कल्याण करना परम आवश्यक है।
‘हिंडोले’ ka kya meaning hai, please ?
संसार में प्राणी पाप पुण्य में झूले की तरह झूलता रहता है। उसे हिंडोला भी कहते हैं।
संसारी जीव पाप पुण्य के झूले में झूलते रहते हैं। इस झूले को हिंडोला भी कहते हैं।
Okay.