1. एकेंद्रिय जीवों के मिथ्यात्व होने से अनंतानुबंधी (+ तीनों) कषायें होती हैं ।
2. निगोदियाओं के इस कषाय के कारण ही बार बार निगोदिया बनना पड़ता है (जीवकांड़) ।
बाई जी
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एकेन्द़िय का मतलब जिसमें एक मात्र स्पर्शन होता है जैसे वनस्पति, जल, वायु आदि सभी स्थावर जीव होते हैं।
अनंतानुबंधी कषाय अनन्त संसार की कारणभूत है मिथ्यात्व को सहायक है। इस कषाय के उदय में सम्यग्दर्शन उत्पन्न नहीं होता है,यह क़ोध,मान माया और लोभ चार कषाय रूप होती हैं।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि एकेंन्द़िय जीवों के मिथ्यात्व होने से तीन कषाय भी होती हैं। जबकि निगोदियाओं के इस कषाय के कारण ही बार बार निगोदिया बनना पड़ता है।
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एकेन्द़िय का मतलब जिसमें एक मात्र स्पर्शन होता है जैसे वनस्पति, जल, वायु आदि सभी स्थावर जीव होते हैं।
अनंतानुबंधी कषाय अनन्त संसार की कारणभूत है मिथ्यात्व को सहायक है। इस कषाय के उदय में सम्यग्दर्शन उत्पन्न नहीं होता है,यह क़ोध,मान माया और लोभ चार कषाय रूप होती हैं।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि एकेंन्द़िय जीवों के मिथ्यात्व होने से तीन कषाय भी होती हैं। जबकि निगोदियाओं के इस कषाय के कारण ही बार बार निगोदिया बनना पड़ता है।