करुणा

व्यक्ति दु:खी तो अपने कर्मों से होता है, फिर उस पर करुणा क्यों और कैसे आ सकती है ?
प्रथम दृष्टि से कर्म फल पर चिंतन सही है पर बाद में उसके लिये कुछ करने का विचार ज़रूर करें वरना दया/करुणा समाप्त ही हो जायेगी ।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

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One Response

  1. करुणा का तात्पर्य जीवों पर दया का भाव रखना है। जैन धर्म में करुणा दान भी कहा गया है।
    उपरोक्त कथन सत्य है कि व्यक्ति दुखी अपने कर्मों से होता है, लेकिन धर्म में बताया गया है उसके प्रति करुणा के भाव रखना आवश्यक है। इसके साथ बाद में भी उसके प्रति करुणा के भी जरुरत है। इसके साथ उसको कर्मों के निवारण के लिए धार्मिक रुप से निवारण बताना चाहिए कि उसको अपने कर्मों का निवारण करने में समर्थ हो सकता है। अतः जीवन में करुणा एवं दया के भाव रखना आवश्यक है ताकि अपना कल्याण हो सकता है।

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