करुणा / दया
करुणा बिना किसी निमित्त के भी आती है, जैसे “सुखी रहे सब जीव जगत के…” ।
दया निमित्त से, दीन दु:खी को देखकर ।
करुणा बिना किसी निमित्त के भी आती है, जैसे “सुखी रहे सब जीव जगत के…” ।
दया निमित्त से, दीन दु:खी को देखकर ।
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One Response
बहुत सुंदर विचार है, यह कथन बिलकुल सत्य है… करुणा एवं दया की व्याख्या की है ।
करुणा बिना निमित्त के आती है, जबकि दया निमित्त से ही आती है ।
जो उदाहरण दिया है, बिलकुल सही है ।