पुदगल व जीवों में क्रिया होने से कर्तृत्व समझ आता है, पर धर्म आदि द्र्व्यों में ?
सभी द्रव्यों में स्वक्रिया होती है जैसे अस्तित्व का कर्ता द्रव्य खुद ही है ।
अस्तित्व कर्मोंदय से नहीं होता, इसीलिये पारिणामिक है ।
श्री राजवार्तिक – 13
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