दीपक के उपादान को प्रकाशित करने में –
घी – कर्म है,
बाती – निमित्त,
चिमनी – पुरुषार्थ है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपादान का मतलब किसी कार्य के क्षेत्र में जो स्वयं कार्य रुप परिणमन करता है।
कर्म का मतलब जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है।
निमित्त का मतलब जो कार्य के होने में सहयोग या जिसके बिना कार्य न हो।
पुरुषार्थ का मतलब चेष्टा या प़त्यन करना होता है। अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि दीपक के उपदान को प़काशित करने में घी कर्म है,बाती निमित्त है और चिमनी पुरुषार्थ है।
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उपादान का मतलब किसी कार्य के क्षेत्र में जो स्वयं कार्य रुप परिणमन करता है।
कर्म का मतलब जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है।
निमित्त का मतलब जो कार्य के होने में सहयोग या जिसके बिना कार्य न हो।
पुरुषार्थ का मतलब चेष्टा या प़त्यन करना होता है। अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि दीपक के उपदान को प़काशित करने में घी कर्म है,बाती निमित्त है और चिमनी पुरुषार्थ है।