कर्म / आत्मा
कर्म और आत्मा में शक्तिशाली कौन ?
यदि एक व्यक्ति की शक्ति दस व्यक्तियों से ज्यादा हो और दूसरे व्यक्ति की शक्ति तो बहुत कम लेकिन निर्दयी/ आतंकी हो तो !
कर्म भी फल देते समय निर्दयी होते हैं। प्रायः हाहाकार मचा देते हैं।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने कर्म एवं आत्मा को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कर्मों को अच्छे होना चाहिए ताकि आत्मा पर ज्यादा भार नहीं हो।