कर्म / आत्मा
कर्म और आत्मा में शक्तिशाली कौन ?
यदि एक व्यक्ति की शक्ति दस व्यक्तियों से ज्यादा हो और दूसरे व्यक्ति की शक्ति तो बहुत कम लेकिन निर्दयी/ आतंकी हो तो !
कर्म भी फल देते समय निर्दयी होते हैं। प्रायः हाहाकार मचा देते हैं।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने कर्म एवं आत्मा को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कर्मों को अच्छे होना चाहिए ताकि आत्मा पर ज्यादा भार नहीं हो।
Can meaning of the post be explained, please ?
तीव्र कर्मोदय में आत्मा शक्ति नहीं दिखा पाती है।
Okay.