कर्म प्रकृति में करण

नौवें दसवें गुणस्थानों में उपशम, निद्यत्ति, और निकाचित करण नहीं होते । क्योंकि अनिवृत्ति करण परिणामों से उपशम, निद्यत्ति, और निकाचितपना टूट जाता है ।
11 से 13 गुणस्थान में संक्रमण, उपशम, निद्यत्ति, और निकाचित करण नहीं होता ।
14 गुणस्थान में सत्त्व और उदय ही होते हैं ।

कर्मकांड़ गाथा : – 442

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