कर्म-फल

यह दो प्रकार का है –
1. बाह्य – जो दिखता भी है – वैभव के रूप में।
2. अंतरंग – जो दिखता नहीं, पर अंतरंग वैभव प्रदान करता है; सातिशय/सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि।
इसे कैसे प्राप्त करें ?
धार्मिक अनुष्ठानों को अहोभावों से करके।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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