कर्म-फल
रमेश ने मित्र सुरेश से 2000 रु. उधार लिये। रमेश के मन में बेईमानी आ गयी।
सुरेश कर्म-सिद्धांत का विश्वासी, कहता –> लेकर जायेगा नहीं!
सुरेश मर गया। रमेश, सुरेश के लड़के के साथ अंतिम संस्कार करके लौट रहा था। शमशान वाले ने सुरेश के लड़के से लकड़ियों के पैसे मांगे। लड़के पर थे नहीं, सो रमेश चाचा को ही 3000 रु. देने पड़े।
ब्र. डॉ. नीलेश भैया
(यह कथा लेखक श्री जावेद अख़्तर के जीवन की सच्ची घटना पर आधारित है)।
2 Responses
कर्म फल का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कर्म सिद्धांत पर विश्वास एवं श्रद्धा रखना परम आवश्यक है।
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