क्षय तो सिर्फ 7 कर्मों का किया जाता है ।
8वें आयु कर्म का तो संरक्षण किया जाता है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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कर्म का मतलब जीव मन वचन काय द्वारा प़़तिक्षण कुछ न कुछ करता है यह सब क़िया या कर्म है। कर्म के द्वारा जीव परतंत्र होता है और संसार में भटकता है। कर्म तीन प्रकार के होते हैं, द़व्य, भाव और नोकर्म ।
अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि क्षय तो सात कर्मों का किया जाता है जबकि 8वें आयु कर्म का संरक्षण किया जाता है।
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कर्म का मतलब जीव मन वचन काय द्वारा प़़तिक्षण कुछ न कुछ करता है यह सब क़िया या कर्म है। कर्म के द्वारा जीव परतंत्र होता है और संसार में भटकता है। कर्म तीन प्रकार के होते हैं, द़व्य, भाव और नोकर्म ।
अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि क्षय तो सात कर्मों का किया जाता है जबकि 8वें आयु कर्म का संरक्षण किया जाता है।