कितना ?
रिक्त को भरने की मनाही नहीं, अतिरिक्त में दोष है।
फिर चाहे वह भोजन हो या धन।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(आचार्य श्री की कला …रिक्त को अतिरिक्त से भर देते हैं)
रिक्त को भरने की मनाही नहीं, अतिरिक्त में दोष है।
फिर चाहे वह भोजन हो या धन।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
(आचार्य श्री की कला …रिक्त को अतिरिक्त से भर देते हैं)
4 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने कितना को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में धन, भोजन आदि इच्छाओं की सीमा निर्धारित करना परम आवश्यक है ताकि अतिरिक्त से बचा जा सकता है।
‘रिक्त को अतिरिक्त से भर देते हैं’ ka kya.meaning hai, please ?
भूखे पेट/ ज़रुरत के लायक भोजन/ धन खाने/ कमाने की मनाही नहीं है। अतिरिक्त खाने/ धन की मनाही की।
आचार्य श्री
शब्दों/ विषय की सीमा में बताने से ज्यादा भाव भर देते हैं।
Okay.