सेवा से तो पुण्य और आनंद दोनों मिलते हैं,
पर कुपात्र की करने से दुर्गुण और सुपात्र की से सदगुण आने की संभावना रहती है ।
चिंतन
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उपरोक्त कथन सत्य है कि दुनिया में जीव सुपात्र और कुपात्र दोनों मिलते हैं, इनकी सेवा में पुण्य और आनन्द दोनों मिलते हैं।
उक्त कथन सत्य है कि सेवा, कुपात्र की करने से दुर्गुण और सुपात्र की करने से सद्गुण आने की सम्भावना रहती है।
यह भी कहा जाता है कि दान या सेवा के लिए पात्रता चुनना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि दुनिया में जीव सुपात्र और कुपात्र दोनों मिलते हैं, इनकी सेवा में पुण्य और आनन्द दोनों मिलते हैं।
उक्त कथन सत्य है कि सेवा, कुपात्र की करने से दुर्गुण और सुपात्र की करने से सद्गुण आने की सम्भावना रहती है।
यह भी कहा जाता है कि दान या सेवा के लिए पात्रता चुनना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।