क्षपक सम्यकचारित्र

क्षपक श्रेणी में 8 से 10 गुणस्थान में उपचार से क्षायिक सम्यकचारित्र ही मानना होगा क्योंकि उपशम, क्षयोपशमिक सम्यग्दर्शन तो हो नहीं सकते ।
12 वें गुणस्थान में पूर्णता ।

मुनि श्री कुंथुसागर जी

हालाँकि अशुद्धता के साथ क्षयोपशमिक सम्यकचारित्र ही होता है परन्तु नैगम नय की अपेक्षा क्षायिक चारित्र कहा है ।
उपशम श्रेणी में भी क्षयोपशमिक/औपशमिक

पं.रतनलाल बैनाड़ा जी

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