सबसे छोटी आयु (एक साँस में १८ बार जन्म/मरण) वाले भव को क्षुद्र-भव कहते हैं ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
Share this on...
One Response
भव का मतलब आयु कर्म के उदय से जीव को मनुष्य,देव आदि पर्याय होती हैं उसे कहते हैं। चार भव होते हैं, मनुष्य,तिर्यंच, नरक और देव।
नरक- -जो जीवों को शीत उष्ण आदि वेदनाओं से निरंतर आकुलित करते रहते हैं उसे नरक कहते हैं।
एकन्द़िय जीव- -जिसके एक मात्र स्पर्शन होता है वह एकन्द़िय जीव है यानी स्थावरजीव एकेन्द़िय है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि सबसे छोटी आयु वाले भव को क्षुद़भव कहते हैं। जबकि ऐसा एक इन्द़िय का होता है यानी निगोदिया जीव होता है।
One Response
भव का मतलब आयु कर्म के उदय से जीव को मनुष्य,देव आदि पर्याय होती हैं उसे कहते हैं। चार भव होते हैं, मनुष्य,तिर्यंच, नरक और देव।
नरक- -जो जीवों को शीत उष्ण आदि वेदनाओं से निरंतर आकुलित करते रहते हैं उसे नरक कहते हैं।
एकन्द़िय जीव- -जिसके एक मात्र स्पर्शन होता है वह एकन्द़िय जीव है यानी स्थावरजीव एकेन्द़िय है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि सबसे छोटी आयु वाले भव को क्षुद़भव कहते हैं। जबकि ऐसा एक इन्द़िय का होता है यानी निगोदिया जीव होता है।