समय/जीवन बर्बाद

एक भिखारी सिर्फ सिक्के उठाता था, नोट वापस कर देता था ।
सब लोगों ने खेल बना लिया, वह बड़े बड़े नोट लौटा देता था ।
खेल खेल में लोगों के खूब सिक्के चले जाते थे ।

हम भी संसार में बुद्धु बन कर खूब खो रहे हैं, अपना पैसा (मूल्यवान जीवन) और समय बर्बाद कर रहे हैं ।

गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी

आज गुरुवर का 39वाँ पावन दीक्षा-दिवस है ।

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One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि मनुष्य अपने जीवन का समय उस भिखारी की तरह बर्बाद करते रहते हैं, इस मूल्यवान जीवन को ।
    अतः जीवन में कल्याण करना है तो मूल्यवान समय को उचित कार्यो में लगाना आवश्यक है।

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