गुणस्थान… मोह की न्यूनता / अधिकता होने से भावों में बदलाव।
लेश्या… कषाय + योग प्रवृत्ति में न्यूनता/ अधिकता से आत्मा का लेपन।
गुणस्थानों के बदलाव से बड़े बदलाव होते हैं, लेश्या से छोटे।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (शंका समाधान- 9)
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मुनि के प़णम्यसागर महाराज जी ने गुणस्थान एवं लेश्या को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि के प़णम्यसागर महाराज जी ने गुणस्थान एवं लेश्या को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।