गुरु

गुरु के प्रति समपर्ण/ अर्पण* करने पर वे दर्पण बन जाते हैं, जीवन पर्यंत के लिये।
उनके जीवनकाल में ही नहीं, उनके न रहने पर भी।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

* राग सहित झुकाव

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4 Responses

  1. आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने गुरु का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए गुरु के प्रति समपर्ण भाव एवं श्रृद्धा रखना परम आवश्यक है।

    1. सही, उसे धर्मानुराग कहेंगे । जो मोक्षमार्ग में सहायक होता है ।

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