गुरु वह जो शरीर को (आत्मा से) ज्यादा महत्व न दे।
महावीर भगवान की दिव्यध्वनि 66 दिन “दलाल” के अभाव में नहीं खिरी। बड़े व्यापारों* के लिये दलाल आवश्यक होता है।
* त्याग, तप, और संयम।
मुनि श्री मंगल सागर जी
Share this on...
5 Responses
‘महावीर भगवान की दिव्यध्वनि 66 दिन “दलाल” के अभाव में नहीं खिरी।’ Yahan par dalaal ka matlab ‘Gautam gandhar’ se hai ? Ise clarify karenge, please ?
मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने गुरु को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए गुरु के प़ति श्रद्धा एवं समपर्ण रखना परम आवश्यक है।
5 Responses
‘महावीर भगवान की दिव्यध्वनि 66 दिन “दलाल” के अभाव में नहीं खिरी।’ Yahan par dalaal ka matlab ‘Gautam gandhar’ se hai ? Ise clarify karenge, please ?
मुनि श्री मंगलसागर महाराज जी ने गुरु को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए गुरु के प़ति श्रद्धा एवं समपर्ण रखना परम आवश्यक है।
बड़े व्यापार jaise त्याग, तप, और संयम के लिये दलाल ko आवश्यक kyun bataya ? Ise clarify karenge, please ?
बड़े बिजनेस को आप अकेले संभाल नहीं सकते इसलिए दलाल की आवश्यकता पड़ती है। त्याग,तप और संयम यह बहुत बड़े व्यापार हैं।
Okay.