गृहस्थी में फंसने पर !
तुम तो जेल में हो तो समता/शांति से काट लो,
आचरण ठीक रखो तो राहत मिलेगी;
पर अपने बच्चों को तो जेल में मत फंसाओ !
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
तुम तो जेल में हो तो समता/शांति से काट लो,
आचरण ठीक रखो तो राहत मिलेगी;
पर अपने बच्चों को तो जेल में मत फंसाओ !
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
One Response
गृहस्थी में फंसाने का यह मतलब नहीं कि बच्चों को जेल जाना पड़ेगा बल्कि उसको ऐसे संस्कार देना चाहिए ताकि जेल नहीं जाना पड़े। जेल में समता एवं शांति से निकल सकता है लेकिन बच्चों को अच्छे आचरण सिखाने का प्रयास करना चाहिए ताकि उसके कर्म बंध अच्छे हों सके जो भव भव में काम आ सकते हैं।