तुम तो जेल में हो तो समता/शांति से काट लो,
आचरण ठीक रखो तो राहत मिलेगी;
पर अपने बच्चों को तो जेल में मत फंसाओ !
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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गृहस्थी में फंसाने का यह मतलब नहीं कि बच्चों को जेल जाना पड़ेगा बल्कि उसको ऐसे संस्कार देना चाहिए ताकि जेल नहीं जाना पड़े। जेल में समता एवं शांति से निकल सकता है लेकिन बच्चों को अच्छे आचरण सिखाने का प्रयास करना चाहिए ताकि उसके कर्म बंध अच्छे हों सके जो भव भव में काम आ सकते हैं।
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गृहस्थी में फंसाने का यह मतलब नहीं कि बच्चों को जेल जाना पड़ेगा बल्कि उसको ऐसे संस्कार देना चाहिए ताकि जेल नहीं जाना पड़े। जेल में समता एवं शांति से निकल सकता है लेकिन बच्चों को अच्छे आचरण सिखाने का प्रयास करना चाहिए ताकि उसके कर्म बंध अच्छे हों सके जो भव भव में काम आ सकते हैं।