चक्र

रावण पूरा जीवन चक्र हासिल करने में लगा रहा पर उसके जीवन का अंत उसी चक्र से हुआ ।
हम सब भी संसार के चक्कर में चक्र की तरह घनचक्कर हो रहे हैं ।
हमारा अंत भी, यही हमारा ही चक्कर करेगा ।

मुनि श्री विश्रुतसागर जी

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