अर्धचक्री पवित्र पुण्य के बदले वैभव मांगते हैं, इसलिये नरक जाते हैं,
चक्रवर्ती को बिना मांगे मिलता है सो वे प्राय: स्वर्ग/मोक्ष जाते हैं ।
(पूर्ण पाने के बाद संतुष्टि/वैराग्य आता है )
मुनि श्री सुधासागर जी
Share this on...
One Response
चक्रवर्ती— आर्य खंण्ड़ आदि छह खंण्डों में अधिपति और बत्तीस हजार राजाओं के स्वामी को कहते हैं।ये नौ निधियों और चोदह रत्नों के स्वामी होते हैं। उपरोक्त कथन सत्य है कि अर्धचक़ी पवित्र पुण्य के बदले वैभव मांगते हैं, इसलिए नरक जाते हैं, जबकि च़कवती को बिना मांगे मिलता है, इसलिए वे प्रायः स्वर्ग या मोक्ष जाते हैं। अतः च़कवती को पूर्ण पाने के बाद पूर्ण सन्तुष्टी और वैराग्य आता है।
One Response
चक्रवर्ती— आर्य खंण्ड़ आदि छह खंण्डों में अधिपति और बत्तीस हजार राजाओं के स्वामी को कहते हैं।ये नौ निधियों और चोदह रत्नों के स्वामी होते हैं। उपरोक्त कथन सत्य है कि अर्धचक़ी पवित्र पुण्य के बदले वैभव मांगते हैं, इसलिए नरक जाते हैं, जबकि च़कवती को बिना मांगे मिलता है, इसलिए वे प्रायः स्वर्ग या मोक्ष जाते हैं। अतः च़कवती को पूर्ण पाने के बाद पूर्ण सन्तुष्टी और वैराग्य आता है।