रत्न यानि खास/मुख्य, जैसे पटरानी/सेनापति आदि ।
चक्रवर्ती के जाने के बाद इनकी मुख्यता समाप्त हो जाती है ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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4 Responses
चक़वर्ती आर्यखण्ड आदि छह खण्डों के अधिपति और बत्तीस हजार राजाओं के स्वामी होते हैं, इसके साथ नो निधियों और चौदह रत्नों के स्वामी होते हैं। चक़वर्ती के जाने के बाद उनके द्भारा दिये गए अनुदेशों से जगत के प़त्येक प़ाणी को कल्याण का रास्ता दिखाया गया है।
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चक़वर्ती आर्यखण्ड आदि छह खण्डों के अधिपति और बत्तीस हजार राजाओं के स्वामी होते हैं, इसके साथ नो निधियों और चौदह रत्नों के स्वामी होते हैं। चक़वर्ती के जाने के बाद उनके द्भारा दिये गए अनुदेशों से जगत के प़त्येक प़ाणी को कल्याण का रास्ता दिखाया गया है।
“पटरानी/सेनापति”, kya “चक्रवर्ती के चेतन-रत्न”, hote hain?
हाँ, यही तो item में साफ़ लिखा है ।
Okay.