चारित्र

पूज्यों/बड़ों/गुणवानों के चरणों में सिर झुकाने की परम्परा इसलिये है क्योंकि अपने यहाँ चारित्र की प्रमुखता है ।
चरण आचरण के प्रतीक होते हैं, सिर ज्ञान का प्रतीक है ।
ज्ञान को चारित्र के आगे झुकाने की परम्परा  है ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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3 Responses

  1. मानवता के मापदंड की कसौटी चारित्र ही है.
    चारित्र – विद्या, बुद्धि, वैभव, ऐश्वर्य और सौन्दर्य से अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि चारित्र के अलावा सब जीवन मे आनुवांशिक आधार या उत्तराधिकार से प्राप्त हो सकते हैं पर चारित्र स्वयं अर्जित किया जाता है.
    संतों,पूज्यों,बड़ों,गुणवानों के चरणों के चरण स्पर्श करते ही उनके चरणो से निकली ऊर्जा हमारी बुद्धि, विवेक, ज्ञान, इन्द्रियों को उद्वेलित करके उन्हे सदाचरण की ओर कार्यरत एवं क्रियाशील करती है।

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