जिसकी छाया पड़ती है जैसे मकान, कार, शरीर आदि, उसी की छवि की चिंता होती है ।
आत्मा की छाया नहीं पड़ती सो हम उसकी छवि की चिंता भी नहीं करते ।
चिंतन
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उपरोक्त कथन सत्य है कि जिनकी छाया पड़ती है, जेसे मकान,कार शरीर आदि, उसको उस छवि की चिंता होती रहती है लेकिन आत्मा की छाया नहीं पड़ती सो हम लोग उस छवि की चिंता भी नहीं करते हैं। अतः जब तक आत्मा का चिंतन नहीं करते हैं तब तक अपनी संसारिक छवि को बना सकते हैं। अतः आत्मा के चिंतन करने पर अपने चरित्र और व्यवहार को ही सही कर सकते हैं,तभी अपनी छवि को सुन्दर बना सकते हैं अतः जीवन में धन,पैसा, मकान आदि से कभी भी अपनी छवि नहीं बना सकते हैं।
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उपरोक्त कथन सत्य है कि जिनकी छाया पड़ती है, जेसे मकान,कार शरीर आदि, उसको उस छवि की चिंता होती रहती है लेकिन आत्मा की छाया नहीं पड़ती सो हम लोग उस छवि की चिंता भी नहीं करते हैं। अतः जब तक आत्मा का चिंतन नहीं करते हैं तब तक अपनी संसारिक छवि को बना सकते हैं। अतः आत्मा के चिंतन करने पर अपने चरित्र और व्यवहार को ही सही कर सकते हैं,तभी अपनी छवि को सुन्दर बना सकते हैं अतः जीवन में धन,पैसा, मकान आदि से कभी भी अपनी छवि नहीं बना सकते हैं।