ज़िंदगी तो पूरी विशेष है, लेकिन जो ज़िंदगी शेष है, वह तो बहुत विशेष है; अतः जो शेष है, उसे धर्म से जोड़कर, आसानी से शान्ति एवम् संतोष में, निकाल सकते हैं । Reply
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ज़िंदगी तो पूरी विशेष है, लेकिन जो ज़िंदगी शेष है, वह तो बहुत विशेष है; अतः जो शेष है, उसे धर्म से जोड़कर, आसानी से शान्ति एवम् संतोष में, निकाल सकते हैं ।