जिनवाणी लाते समय “सावधान” सिर्फ जिनवाणी को सम्मान देने के लिये ही नहीं, बल्कि श्रोताओं का प्रमाद छुड़वाने/ एकाग्रता बनवाने के लिये भी बोला जाता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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जिनवाणी का तात्पर्य सब जीवों के हित का उपदेश देने वाली श्री अर्हन्त भगवान् की वाणी होती है।
अतः भगवान् में श्रद्धा रखनी चाहिए एवं सम्मान करना चाहिये,उसी प्रकार जिनवाणी पर श्रद्वान करते हुए, उसे सम्मान एवं विनय रखना परम आवश्यक है। अतः जिनवाणी लाते समय सावधान सिर्फ सम्मान देने के लिए नहीं बल्कि श्रोताओं के प़माद छोड़ने एवं एकाग्रता बनाए जाने के लिए सावधान बोला जाता है।
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जिनवाणी का तात्पर्य सब जीवों के हित का उपदेश देने वाली श्री अर्हन्त भगवान् की वाणी होती है।
अतः भगवान् में श्रद्धा रखनी चाहिए एवं सम्मान करना चाहिये,उसी प्रकार जिनवाणी पर श्रद्वान करते हुए, उसे सम्मान एवं विनय रखना परम आवश्यक है। अतः जिनवाणी लाते समय सावधान सिर्फ सम्मान देने के लिए नहीं बल्कि श्रोताओं के प़माद छोड़ने एवं एकाग्रता बनाए जाने के लिए सावधान बोला जाता है।