जीना-मरना
जीने में क्या राहत थी !
मरने में तकलीफ़ है क्या ?
तब दुनिया क्यों हँसती थी ?
अब दुनिया क्यों रोती है ??
~ सागर निज़ामी
(डाॅ.पी.एन.जैन)
जीने में क्या राहत थी !
मरने में तकलीफ़ है क्या ?
तब दुनिया क्यों हँसती थी ?
अब दुनिया क्यों रोती है ??
~ सागर निज़ामी
(डाॅ.पी.एन.जैन)
One Response
यह कथन बिलकुल सही है—
आजकल, अधिकांश लोग जीने या मरने तक सीमित रहते हैं लेकिन, जीवन में क्या करना है यह उद्देश्य नहीं बनाते हैं। अतः धर्म से जुडना चाहिए, जो आपको जीवन में आनंद लेने का रास्ता सिखाता है; तभी आपका भविष्य उज्ज्वल होगा ।धर्म से जुड़ने पर, कर्मसिद्धांत पर भी विश्वास आ जाता है ।