जीव कल्याण

करोड़ों बार स्तोत्र पढ़ने/ भक्तामर आदि का अखंड पाठ जीवन भर करने से उतना फल नहीं मिलेगा, जितना पाँच मिनट सब जीवों के सुखी रखने के भाव भाने से मिलेगा।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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One Response

  1. सुखी रहें सब जीव जगत के,
    रखो हृदय में भाव।
    मन्दिर, प्रवचन सब पीछे हैं,
    प्रथम, करुण वर्ताव।

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